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“शर्म करो नेताओ कुछ तो शर्म करो….” इस देश में कोई भी आदमी बिना मेहनत के कुछ नहीं पाता. एक और गरीब जनता जो दो वक्त की रोटी के लिये हाड तोड मेहनत करती है , तब जाकर उन्हें रोटी नसीब होती है. दूसरी और ये नेता बिना किसी मेहनत के ओर बिना किसी काम के अपना वेतन तीन गुना से भी ज्यादा बढा लेते हैं . क्या इनके लिये कोई वेतन आयोग नहीं है. शायद अपने हाथों अपनी वेतन वृद्धि का यह मामला पूरे विश्व में इकलौता हो ! अपने आप अपनी वेतन वृद्धि करना क्या न्यायोचित है??? हमारे सभी प्रकार के कर्मचारी अपने वाजिब वेतन समझॉते के लिये कितनी ही हड़्तालें करते हैं तब जाकर उनकी मांगों में से मात्र कुछ ही माना जाता है. इस बीच कितनी मानसिक, शारीरिक, आर्थिक मुसिबतों से उनका सामना होता है, यह जग जाहिर है. ऐसे में सांसदों द्वारा अपना वेतन इस तरह बढा लेना बेहद ही शर्म की बात है. आम आदमी को इसके खिलाफ खुल कर बोलना ही होगा , नहीं तो ये लोग आम जनता के हिस्से की रोटी भी खुद खा जायेंगे. इन्हें देखते ही कुछ ऐसे नारे लगने चाहिए” शर्म करो, शर्म करो, शर्म करो…..
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